Friday 13 February, 2009

जब से दिल उन पे आशनां सा है....


जब से दिल उन पे आशनां सा है,
जिंदगी मैं अलग नशा सा है...

उस मैं ख़ुद को तलाश करता हूँ,
उस का चेहरा ही आइना सा है...

उस के दम पे है रौशनी वरना,
हर तरफ़ अब धुआं-धुआं सा है...

यूँ तो रहता है धडकनों मैं शुमार,
हाँ मगर आज कल खफा सा है...

हूँ अकेला मगर नहीं तनहा,
संग यादों का काफिला सा है,

एक बिजली बदन मैं कोंध गई,
उस के एहसास ने छुआ सा है.

है 'पथिक' जिंदगी बहुत छोटी ,
पूछती है घड़ी बजा क्या है...


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